कभी भी कोई अल्पविराम !
इंसानों से नही है चलती दुनिया ,
अब आ भी जाओ अल्लाह , आ भी जाओ राम!
पत्थर से बन गए है, फूल वादियों के
मांग रहे हैं ज़मीन, सबकी जान लेके
इस खेल को अब कोई कैसे देखे ?
जब अमन हर सुबह, फिर चीखें क्यों हर शाम?
इंसानों से नही है चलती दुनिया ,
अब आ भी जाओ अल्लाह , आ भी जाओ राम!
धर्म के नाम पर हैं छलते
धर्म के नाम पर करते राज
इन्सान ही इन्सान के कत्ल में मसरूफ आज!
क्यूँ है यह शोर, क्यूँ मचा है यह कत्लेआम ?
इंसानों से नही है चलती दुनिया ,
अब आ भी जाओ अल्लाह , आ भी जाओ राम!
कैसा है ये कोहराम ?
कभी भी कोई अल्पविराम !
इंसानों से नही है चलती दुनिया ,
अब आ भी जाओ अल्लाह , आ भी जाओ राम!