Conversation with God- a night before submission
बढ़ रहे वक्त के कांटे,
टिक टिक टिक कर हमें डांटे।
सुई अटके या न अटके,
घंट ध्वनि बज जायेगी।
सुबह के लालिमा पश्चात्,
तपती कालीरात आ जायेगी।।
कैसे रोके इस काल को?
कैसे यह काल हमारा है?
इस काल न बुझा यह सवाल,
तो कल विक्राल हमारा है।
हंसो मत, न कूदो, न चिढाओ,
पता है हमें, यह जाल भी तुम्हारा है।
ध्यान रखो तुम्हारे उल्लास में छिपा,
जवाब सिर्फ़ हमारा है।
हो जाएगा हल यह सवाल,
फिर भविष्य काल हमारा है।