ये अँधेरा सा क्यूँ है?
क्यूँ है सन्नाटा हर जगह?
है क्या इसकी वजह?
कल थे मिले
तो चहक रही थी चिड़िया
रंग दिखलाती
बलखाती तितलिया
राग थे बसंत के
और छाई बहार थी
दश्तो में भी रागिनी बस मल्हार थी
फिजा में फूलों की खुशबु
मंज़रो में उड़ती पतंगे
दरिया में बहते दीये
शेर ऐ अमन के ही तो शब्द थे
फ़िर ये अब दहशत क्यूँ है?
न जाने यह धुंआ सा क्यूँ है?
ये अँधेरा सा क्यूँ है?
अरे तुम तो बता दो इसकी वजह!