रास्ते और भी हैं इन रास्तों में,यह पत्ते सफरों की निशानी हैं॥
उगते सूरज देख बड़ा हुआ,रातों के संग गई जवानी है।
न रहा डाल पे अब तो क्या? और भी जिन्दगी आनी है ॥
ज्येष्ठ देखे, आषाढ़ देखे, तब कीमत सावन की जानी है
आज भादो, जब पतझड़ है,आँखों में न जाने क्यूँ पानी है?
चलो आज पतझड़ है, वक्त तुम्हारा है,हमारी तो बीत गई जिंदगानी है।
पर याद रखो इतराते सौरभ! संसार की बस यही कहानी है॥
पतझड़ के पत्तो पर यूँ न चलो,इनमे छुपी कई कहानी हैं।
रास्ते और भी हैं इन रास्तों में,यह पत्ते सफरों की निशानी हैं॥